प्रमुख उद्देश्य

विवरण स्कोप
रत्न और आभूषण (जीजे) क्षेत्र की व्यापक समझ विकसित करना जिसमें कच्चे माल के स्रोत से खुदरा तक रत्न और आभूषण वैल्यू चैन का अवलोकन शामिल है।
  • भारत भर में रत्न और आभूषण ग्रुप की पहचान/मैंपिग
  • रत्न और आभूषण क्षेत्र की मैनपॉवर मैपिंग/ टेक्नोलॉजी मैपिंग
  • रत्न और आभूषण क्षेत्र का वैल्यू चैन एनालिसिस
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चैनलों पर विचार करते हुए (1) आय और (2) रोजगार के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था में रत्न और आभूषण (जीजे) क्षेत्र के योगदान का आकलन
  • रत्न और आभूषण क्षेत्र के आर्थिक मापदंडों का मैंपिंग
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में रत्न और आभूषण क्षेत्र का योगदान
घरेलू और निर्यात मांग को प्रभावित करने वाले वेरिएबल्स की पहचान और, रणनीति और पहल विकसित करना जो जीजेईपीसी भारतीय रत्न और आभूषण क्षेत्र के निर्यात में सुधार के लिए शुरू कर सकता है।
  • रत्न और आभूषण क्षेत्र की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता
  • रत्न और आभूषण क्षेत्र का वैल्यू चैन एनालिसिस
स्किल डेवलपमेंट, प्रोडक्शन सिस्टम, और लॉजिस्टिक्स गैप के संबंध में भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और आपूर्ति बाधाओं का आकलन; और इस तरह के अंतराल को दूर करने के लिए सिफारिशें।
  • रत्न और आभूषण क्षेत्र का स्किल और टैक्नोलॉजी मैपिंग
  • रत्न और आभूषण क्षेत्र का वैल्यू चैन एनालिसिस

स्टेकहोल्डर

  • मैन्युफैक्चरिंग यूनिटस
  • ट्रेडस
  • एक्सपोर्टस
  • एसोसिएशन के सदस्य

अपेक्षित परिणाम / प्रभाव

  • पूरे क्षेत्र में कामगारों और यूनिट्स की रूपरेखा
  • स्किल मैपिंग और गैप्स
  • टेक्नोलॉजी मैपिंग और गैप्स
  • आर्थिक मापदंडों का मानचित्रण
  • व्यापार प्रतिस्पर्धा
  • वैल्यू चेन्स - इनपुट स्रोत और आउटपुट गंतव्य
  • नोटबंदी, जीएसटी और अन्य सरकारी नीतियों का प्रभाव
  • रत्न तथा आभूषण क्षेत्र का योगदान
  • आगे का रास्ता- नीतिगत उपाय

ब्रिफ मेथडोलॉजी

  • फ्रेश प्राइमरी सैंपल सर्वे – रत्न तथा आभूषण क्षेत्र के विभिन्न सेगमेंट के लिए पूरे भारत में 6,743 यूनिट्स
  • उपलब्ध सर्वेक्षणों का विश्लेषण - श्रम ब्यूरो, एनएसएसओ, उद्यम सर्वेक्षण, राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी, सीएसओ

सैंपलिंग पद्धति इस प्रकार है:

पूरे देश को 6 क्षेत्रों में विभाजित किया गया था

  • उत्तर (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश)
  • पूर्व (असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल)
  • पश्चिम (मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र)
  • दक्षिण (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना)
  • गुजरात और राजस्थान

कुल सैंपलिंग यूनिट्स में से 5088 शहरी क्षेत्रों से और शेष 1655 ग्रामीण क्षेत्रों से चुने गए थे।

आर्थिक जनगणना के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, प्रत्येक क्षेत्र के भीतर शहरी क्षेत्रों (वार्ड) को यूनिट्स की संख्या के आधार पर चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया था। इन वर्गों के साथ वार्ड हैं:

  • उत्तर (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश)
  • पूर्व (असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल)
  • पश्चिम (मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र)
  • दक्षिण (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना)
  • गुजरात और राजस्थान

इसी तरह, प्रत्येक क्षेत्र के भीतर ग्रामीण क्षेत्रों (गांवों) को दो स्तरों में वर्गीकृत किया गया था:

  • >4 यूनिट्स और गाँव क्षेत्र
  • <= 4 यूनिट्स वाले गांव।

एक स्तरीकृत बहुस्तरीय नमूना डिजाइन को अपनाया गया था।

अर्बन प्रतिदर्श के चयन के लिए नगर, वार्ड/ब्लॉक तथा यूनिट्स क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण थे जबकि ग्राम एवं यूनिट्स ग्रामीण प्रतिदर्श के चयन के दो चरण थे।

उन राज्यों की सूची जहां अध्ययन किया गया था

आंध्र प्रदेश
असम
बिहार
दिल्ली
गुजरात
हरयाणा
झारखंड
कर्नाटक
केरल
मध्य प्रदेश
महाराष्ट्र
ओडिशा
पंजाब
राजस्थान
तमिलनाडु
तेलंगाना
त्रिपुरा
उत्तर प्रदेश
पश्चिम बंगाल

1956 में स्थापित, NCAER भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, आर्थिक नीति अनुसंधान संस्थान है।

एक राष्ट्र के जीवन में छह दशक एक लंबा समय होता है। यह एक संस्था के जीवन में और भी लंबा होता है। लेकिन NCAER का वादा - सही सवाल पूछने, अच्छे सबूत इकट्ठा करने, उसका अच्छी तरह से विश्लेषण करने और परिणामों को व्यापक रूप से साझा करने का वादा - कायम रहा है।

भारत ने बहुत कुछ हासिल किया है और बहुत कुछ अधूरा है। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बदली है, वैसे ही एनसीएईआर ने भी भारत के तीव्र आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन को समझने में मदद करना जारी रखा है। जैसे-जैसे नई और अधिक जटिल आर्थिक चुनौतियां सामने आती हैं, एनसीएईआर को अपना वादा निभाने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे। इसे अच्छी तरह से करने के लिए, यह एनसीएईआर का नया वादा है।

एनसीएईआर का कार्य चार विषयगत क्षेत्रों में आता है:

  • विकास, मैक्रो, व्यापार और आर्थिक नीति
  • निवेश का माहौल, उद्योग, बुनियादी ढांचा, श्रम और शहरी
  • कृषि और ग्रामीण विकास, प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण
  • गरीबी, समानता, मानव विकास और उपभोक्ता

इन क्षेत्रों में एनसीएईआर के काम का फोकस नीतिगत विकल्पों को समर्थन और सूचित करने के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य तैयार करना और उनका विश्लेषण करना है। यह वैश्विक स्तर पर कुछ थिंक टैंकों में से एक है जो गहन डेटा संग्रह क्षमताओं के साथ कठोर विश्लेषण और नीतिगत पहुंच को जोड़ती है, खासकर घरेलू सर्वेक्षणों के लिए।